आयुर्वेद की मानें तो ये लोकप्रिय व्‍यंजन एक साथ मिलाकर न खाएं

आयुर्वेद की मानें तो ये लोकप्रिय व्‍यंजन एक साथ मिलाकर न खाएं

सेहतराग टीम

आयुर्वेद संतुलित आहार का समर्थन करता है। यह प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट और वसा की प्रक्रिया में नहीं है। यह कैलोरी के संदर्भ में विटामिन और खनिज की सलाह नहीं देता है। आयुर्वेद की चिकित्सा पूरी तरह से प्रकृति पर निर्भर करती है। दोषों के अनुकूल आहार की सलाह दी जाती है। दोष गरम या ठंडे, भरी या हल्के, तैलीय या सूखे और तेज या धीमे हो सकते हैं। आयुर्वेद भोजन में संतुलन के लिए छह स्वादयुक्त खाद्यों का समावेश करने का परामर्श देता है।             

आयुर्वेद के अनुसार, शरीर के तीन मुख्य तत्व या प्रकृति होती है- वात, पित्त और कफ। शरीर में जब भी इन तत्वों का संतुलन बिगड़ जाता है, व्यक्ति बीमार हो जाता है। इससे बचने के लिए ऐसा खाना खाने की सलाह दी जाती है जो जल्दी पच जाता हो और पोषक तत्वों से भरपूर हो। साथ ही, नियमित रूप से संतुलित आहार लेने पर भी जोर दिया गया है।

खाने में होने चाहिए सभी 6 रस

आयुर्वेद के अनुसार, भोजन में 6 रस शामिल होने चाहिए। ये 6 रस हैं- मधुर (मीठा), लवण (नमकीन), अम्ल (खट्टा), कटु (कड़वा), तिक्त (तीखा) और कषाय (कसैला)। शरीर की प्रकृति के अनुसार ही भोजन करना चाहिए। इससे शरीर में पोषक तत्त्वों का असंतुलन नहीं होता।

प्रकृति के अनुसार भोजन करें

वात मीठा, खट्टा और नमकीन

पित्त मीठा, तीखा और कसैला

कफ कड़वा, तीखा, कसैला

खाने से जुड़ी इन जरूरी बातों का रखें ध्यान

  • सब्जियों को पकाने में अधिक समय न लगाएं। ध्यान रखें, सब्जियां न तो ज्यादा पकी हों और न ही कच्ची
  • चीनी की जगह शहद या गुड़, मैदे की जगह चोकरयुक्त आटा और दलिया खाएं।
  • अदरक का एक छोटा-सा टुकड़ा (हाथ के अंगूठे के नाखून के तीसरे हिस्से के बराबर) लें और उसे तवे पर भून लें। इस टुकड़े के ठंडा होने के बाद इस पर थोड़ा-सा सेंधा नमक लगाएं। अब इस टुकड़े को खाना खाने से करीब पांच मिनट पहले खा लें। इससे भूख बढ़ती है और पाचन सही रहता है।
  • जंक फूड में सोडियम, ट्रांसफैट और शर्करा की भरमार होती है। इसलिए इन्हें खाने से परहेज करें। मार्केट में मिलने वाले सॉफ्ट ड्रिंक्स से दूरी बनाकर रखें। खाना हमेशा ताजा और गर्म होना चाहिए। यह पाचन के लिए बेहतर होता है।
  • आयुर्वेद में बताया गया है कि खाना हमेशा भूख का आधा खाना चाहिए। इससे वह आसानी से पच जाता है और शरीर में जरूरी पोषक तत्व अच्छे से घुल जाते हैं।

अमृत के समान है घूंट-घूंट पानी पीना

आयुर्वेद में घूंट-घूंट पानी पीना अमृत के समान बताया गया है। खाना खाने से आधा घंटा पहले और खाना खाने के आधा घंटे बाद पानी पी सकते हैं। खाने के दौरान जरूरत होने पर एक-दो घूंट पानी पी सकते हैं। खाना खाने के तुरंत पहले पानी पीने से पाचन क्रिया कमजोर हो जाती है। वहीं, खाना खाने के तुरंत बाद पानी पीने से मोटापा बढ़ता है। पूरे दिन में सादा या गुनगुना पानी पीना सेहतमंद माना गया है।

इन चीजों को कभी-कभी खाएं

पनीर- हफ्ते में दो बार।

स्प्राउट- हफ्ते में दो बार। स्प्राउट को भाप में उबालें और उसमें नमक और नींबू मिलाकर खा सकते हैं।

दही- हफ्ते में दो या तीन बार ही इस्तेमाल करें। दरअसल, रोजाना दही खाने से मोटापा, जोड़ों का दर्द, डायबीटीज आदि बीमारियां हो सकती हैं। बेहतर होगा कि दही में शहद या मिश्री मिलाकर खाएं।

खाने की इन चीजों को आपस में न मिलाएं

आयुर्वेद में खाने-पीने की कुछ चीजों का कॉम्बिनेशन सही नहीं माना गया है। जैसे-

  • किसी भी फल के साथ दूध का सेवन न करें। जिसे हम शेक समझकर पीते हैं, आयुर्वेद में उसे सेहत के लिए ठीक नहीं बताया गया है।
  • इसी प्रकार बहुत ज्यादा ठंडी दही के साथ गर्म परांठे न खाएं।
  • दूध के साथ कोई भी ऐसी चीज न खाएं जिसमें नमक मिला हो।

(यह लेख डॉ. टी. एल. देवराज की किताब आयुर्वेद और स्वस्थ जीवन से साभार लिया गया है।)

 

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